चमोली
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध सिख तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट आज अन्तिम अरदास एवं सेना के वाद्य यंत्रों के साथ शीतकाल के लिए विधिपूर्वक बंद कर दिए गए।
यह निर्णय गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब प्रबंधन ट्रस्ट द्वारा लिया गया था, जिसके अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि कपाट बंदी की प्रक्रिया दोपहर 1 बजे सम्पन्न हुई। इस अवसर पर लगभग 3,000 श्रद्धालुओं ने अंतिम अरदास में भाग लिया।
हेमकुंड साहिब के समीप स्थित पौराणिक लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के कपाट भी आज अंतिम अभिषेक पूजन के बाद बंद कर दिए गए।
सुबह 10 बजे से अमृतसरी रागी जत्थे ने शबद कीर्तन प्रस्तुत किया, जिसके बाद ठीक 1 बजे मंदिर के कपाट बंद किए गए। इस दौरान सेना और पंजाब के बैंड की मधुर धुनें वादियों में गूंजती रहीं।
इस वर्ष हेमकुंड साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। ट्रस्ट के अनुसार, इस वर्ष 2,72,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब के दर्शन किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। यह संख्या हेमकुंड साहिब के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी निष्ठा और आकर्षण को दर्शाती है।
25 मई को कपाट खुलने से लेकर आठ अक्टूबर तक 2.71 लाख से अधिक यात्री हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर में मत्था टेक चुके हैं। दोनों धाम के कपाट 10 अक्टूबर को बंद किए जाने हैं।
चमोली जिले में समुद्रतल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा को अति दुर्गम माना जाता है। दोनों ही धाम के कपाट 22 मई से एक जून के मध्य खोले जाते हैं और 10 अक्टूबर को बंद कर दिए जाते हैं। धाम में ठहरने की सुविधा नहीं है, इसलिए यात्रियों को दर्शन करने के बाद तुरंत घांघरिया के लिए वापसी करनी पड़ती है।
बावजूद इसके इस बार यहां पहुंचने वाली यात्रियों की संख्या में रिकार्ड वृद्धि हुई है। बताया गया कि इस बार विदेश से भी बड़ी संख्या में यात्री हेमकुंड पहुंच रहे हैं। ट्रेकिंग का आकर्षण भी उन्हें यहां खींच रहा है।
खास बात यह कि फूलों की घाटी के भी हेमकुंड के बेस कैंप घांघरिया के पास होने के कारण यह ट्रेक गुलजार है। फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों में बड़ी संख्या हेमकुंड आने वाले यात्रियों की है।
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण उच्च हिमालयी क्षेत्रों जैसे केदारनाथ, बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब में 6 अक्टूबर से बर्फबारी हो रही है। इसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में ठंड बढ़ गई है, जिससे यात्रा मार्गों पर बर्फ की चादर जम गई है। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कपाट बंदी की प्रक्रिया संपन्न की गई।


