देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) की 404 बसें सड़क पर चलने लायक नहीं हैं, फिर भी इन्हें रोजाना रूटों पर दौड़ाया जा रहा है। निगम की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन बसों की हालत बेहद खराब है और इनका संचालन यात्रियों की जान के साथ सीधा खिलवाड़ है।
ऑडिट टीम ने स्पष्ट सिफारिश की है कि इन बसों को तत्काल रूटों से हटाकर नीलाम किया जाए। लेकिन निगम फिलहाल इन पर कार्रवाई करने के बजाय इन्हें चालू रखे हुए है।
रोडवेज के बेड़े में फिलहाल करीब 1450 बसें हैं, जिनमें अनुबंधित वाहन भी शामिल हैं। ऑडिट जांच में कई बसों में गंभीर तकनीकी खामियां मिली हैं। महाप्रबंधक (तकनीकी) पवन मेहरा ने स्वीकार किया कि लगभग 300 बसें नीलामी के लिए चिन्हित हैं। उन्होंने कहा कि फिटनेस प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही बसों का संचालन किया जाता है और यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
उधर, निगम की रिपोर्ट यह भी बताती है कि यदि इन 404 बसों को नीलाम किया गया तो रोडवेज के पास मात्र 1046 बसें ही बचेंगी। निगम ने शासन से एक हजार नई बसों की मांग का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली है।
फिलहाल रोडवेज पहले से ही 100 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है। ऐसे में बसों की कमी से निगम की आय और घटने की आशंका है। आगामी हरिद्वार कुंभ जैसे बड़े आयोजनों के मद्देनजर यह स्थिति परिवहन विभाग के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है।


