देहरादून, 06 सितम्बर। सनातन परंपरा का महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर पितृ पक्ष इस वर्ष 07 सितम्बर, रविवार से आरंभ होकर 21 सितम्बर, रविवार तक चलेगा। आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर यह 16 दिवसीय कालखंड सर्वपितृ अमावस्या के साथ सम्पन्न होगा।
पौराणिक मान्यता है कि इस अवधि में तर्पण एवं श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और आशीर्वाद प्रदान करती है। विशेष बात यह है कि इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत और समापन दोनों ही ग्रहण के साथ हो रहे हैं। 07 सितम्बर को चंद्र ग्रहण तथा 21 सितम्बर को सूर्य ग्रहण रहेगा।
पितृ पक्ष 2025 की प्रमुख तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध – 07 सितम्बर, रविवार
प्रतिपदा श्राद्ध – 08 सितम्बर, सोमवार
द्वितीया श्राद्ध – 09 सितम्बर, मंगलवार
तृतीया व चतुर्थी श्राद्ध – 10 सितम्बर, बुधवार
पंचमी श्राद्ध एवं महाभरणी – 11 सितम्बर, बृहस्पतिवार
षष्ठी श्राद्ध – 12 सितम्बर, शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध – 13 सितम्बर, शनिवार
अष्टमी श्राद्ध – 14 सितम्बर, रविवार
नवमी श्राद्ध – 15 सितम्बर, सोमवार
दशमी श्राद्ध – 16 सितम्बर, मंगलवार
एकादशी श्राद्ध – 17 सितम्बर, बुधवार
द्वादशी श्राद्ध – 18 सितम्बर, बृहस्पतिवार
त्रयोदशी व मघा श्राद्ध – 19 सितम्बर, शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध – 20 सितम्बर, शनिवार
सर्वपितृ अमावस्या – 21 सितम्बर, रविवार
पितृ पक्ष में ध्यान रखने योग्य बातें
केवल शाकाहारी भोजन का सेवन करें।
बाल, दाढ़ी और नाखून न कटवाएं।
लहसुन, प्याज एवं तामसिक भोजन से परहेज करें।
घर-गाड़ी खरीदने या नए कार्यारंभ जैसे मांगलिक कार्य न करें।
पंडितजनों का मत है कि श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया श्राद्ध कर्म न केवल पितरों की आत्मा को शांति देता है बल्कि वंशजों के जीवन में भी सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।