देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार हिमालय संरक्षण को लेकर पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। यह कार्य केवल सरकार का नहीं बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
मंगलवार को आईआरडीटी सभागार में आयोजित हिमालय दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय केवल बर्फीली चोटियों का समूह नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का जीवन स्रोत है। इसकी नदियाँ देश की जीवनधारा हैं और यहाँ पाई जाने वाली जड़ी-बूटियाँ आयुर्वेद का आधार हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से हिमालय का संतुलन बिगड़ रहा है। ग्लेशियर पिघलने से भविष्य में जल संकट और पारिस्थितिकीय असंतुलन की गंभीर चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
उन्होंने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में वर्षा की तीव्रता, क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन जैसी घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। हाल के वर्षों में राज्य को भीषण आपदाओं का सामना करना पड़ा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों और विशेषज्ञों के बीच समन्वय आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गत वर्ष उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था तथा इस वर्ष नवंबर में राज्य में विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन आयोजित होगा। हिमालय संरक्षण हेतु डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम, ग्लेशियर रिसर्च सेंटर, जल स्रोत संरक्षण अभियान और जनभागीदारी कार्यक्रमों पर काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य में डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम लागू किया गया है, जिससे अब तक 72 टन कार्बन उत्सर्जन कम करने में सफलता मिली है। साथ ही पर्यटन क्षेत्र में सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए पर्यटन का विकास किया जा सके।
इस अवसर पर पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि लगातार आपदाओं के कारण अब मानसून का मौसम भय पैदा करने लगा है। हमें हिमालय के संरक्षण के लिए नई सोच विकसित करनी होगी।
कार्यक्रम में विधायक किशोर उपाध्याय, मेयर सौरभ थपलियाल, दर्जाधारी मधु भट्ट, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत, सूर्यकांत धस्माना सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।